India Biggest Bank Froud: भारत देश में अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड,22,842 करोड़ का 28 बैंको को लगाया चुना CBI ने एबीजी शिपयार्ड और उसके निदेशकों के खिलाफ 28 बैंकों को 22,842 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है।
- देश में अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड (Biggest Bank Fraud) का मामला सामने आया है।
- देश की मानी-जानी कंपनी ABG शिपयार्ड ने 28 बैंकों को 22,842 करोड़ रुपये का चूना लगाया है।
- बैंकों के साथ इतनी बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद CBI ने एबीजी शिपयार्ड और उसके निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी करने के आरोप में केस दर्ज किया है।
- एबीजी शिपयार्ड एक प्रमुख कंपनी है जो जहाज निर्माण और जहाज-मरम्मत के कारोबार से जुड़ी है।
- एबीजी पर ICICI का सबसे अधिक राशि ₹7,089 करोड़ का बकाया है, इसके अलावा IDBI, SBI, PNB और बैंक ऑप बड़ौदा जैसे बैंकों के 1 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि बकाया है।
CBI ने दर्ज की एफआईआर
- बता दें कि CBI ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, कफे परेड, कोलाबा मुंबई ब्रांच के डीजीएम बालाजी सिंह समानता की शिकायत पर मेसर्स एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड,
- मगदला विलेज, ऑफ डुमास रोड, सूरत, गुजरात कंपनी, ऋषि कमलेश अग्रवाल,
- चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर, गारंटर संथानम मुथास्वामी, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अश्वनी कुमार,
- डायरेक्टर सुशील कुमार अग्रवाल, डायरेक्टर रवि विमल निवेदिता, डायरेक्टर मेसर्स एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी,
- और अज्ञात सरकारी लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश, चीटिंग, क्रिमिनल बीच ऑफ ट्रस्ट, पोस्ट का दुरुपयोग करके कॉन्सॉर्टियम ऑफ बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,
- ई स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (मौजूदा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ), ई स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (मौजूदा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) जिसे आईसीआईसी बैंक लीड कर रहा था, उन्हें कुल 22,842 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।
पहले मांगा था स्पष्टीकरण
- बैंकों के संघ ने सबसे पहले आठ नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी,
- जिस पर सीबीआई ने 12 मार्च 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगा था।
- बैंकों के संघ ने उस साल अगस्त में एक नई शिकायत दर्ज की और डेढ़ साल से अधिक समय तक जांच करने के बाद सीबीआई ने इस पर कार्रवाई की।
- अधिकारी ने कहा कि कंपनी को एसबीआई के साथ ही 28 बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 2468.51 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी थी।
- फॉरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि वर्ष 2012-17 के बीच आरोपियों ने कथित रूप से मिलीभगत की और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया,
- जिसमें धन का दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात शामिल है।