Income Tax Raid: आयकर विभाग देशभर में लगातार छापेमारी कर रही है, इसी कड़ी में एक बड़ी खबर आ रही है। रातों रात आईटी ने दिल्ली से लेकर मुंबई तक मारी बड़ी रेड मारी है, जिसमें 1000 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। आपको बता दें कि पॉलीकैब कंपनी पर छापेमारी के बारे में बुधवार को सेंट्रल बॉर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) के पदाधिकारियों ने अहम जानकारी दी।
उन्होंने कहा- लगभग 1,000 करोड़ रुपये के कैश लेन-देन का पता लगा है, जिनका लेखा-जोखा नहीं है। पिछले साल 22 दिसंबर को कंपनी के ठिकानों पर तलाशी के दौरान आयकर विभाग ने गड़बड़ी पकड़ी थी। कंपनी के पास 4 करोड़ रुपये से अधिक की बिना हिसाब नकदी जब्त की गई। इसके बाद कंपनी के 25 से अधिक बैंक लॉकरों को सीज कर दिया गया। आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली के 50 परिसरों पर तलाशी ली गई थी। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आधिकारिक सूत्रों ने कंपनी के नाम के रूप में पॉलीकैब इंडिया लिमिटेड की पुष्टि की है।
ये है पूरा मामला
तो वहीं सीबीडीटी के बयान से पहले पॉलीकैब ने बयान जारी कर ‘कथित टैक्स चोरी’ को अफवाह करार दिया। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज नियामक को स्पष्टीकरण जारी किया और बताया कि उन्हें आयकर विभाग की तरफ से तलाशी अभियान या छापेमारी के संबंध में कोई दस्तावेज मुहैया नहीं कराया गया है। पॉलीकैब के ठिकानों पर तलाशी के संबंध में सीबीडीटी का दावा है कि छापेमारी के दौरान दस्तावेजों के साथ-साथ डिजिटल डेटा भी जब्त किया गया है। आयकर विभाग के मुताबिक बड़ी संख्या में ऐसे सबूत मिले हैं, जिनसे आर्थिक अपराध के संकेत मिलते हैं। कंपनी की तरफ से अधिकृत वितरकों की मिलीभगत से टैक्स चोरी की गई है।
400 करोड़ रुपए के लेनदेन का मामला
तो वहीं सीबीडीटी के आरोपों के मुताबिक शुरुआती विश्लेषण में पता चला है कि पॉलीकैब ने टैक्स की चोरी और अपनी आमदनी छिपाने के लिए बेहिसाब नकदी बिक्री, बेहिसाब खरीदारी के लिए नकद भुगतान, फर्जी परिवहन लागत जैसे उपाय किए। ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनसे लगभग एक हजार करोड़ रुपये की बेहिसाब नकद बिक्री का पता लगा है।
तो वहीं कच्चा माल खरीदने के लिए एक डिस्ट्रीब्यूटर ने कंपनी के नाम पर 400 करोड़ रुपये का भुगतान किया। खाता-बही में इसे भी दर्ज नहीं किया गया है।पॉलीकैब पर लगे टैक्स चोरी के आरोप मामले में सीबीडीटी ने कहा कि डिस्ट्रीब्यूटर की शह पर कई पार्टियों ने अपने अकाउंट्स में रकम बढ़ा-चढ़ा कर दिखाई। कुल मिलाकर ऐसी रकम लगभग 500 करोड़ रुपये है। इसके अलावा परिवहन लागत के रूप में करीब 100 करोड़ रुपये की गलत एंट्री / नहीं दर्ज किए गए खर्चों (Non-genuine Expenses) का भी भंडाफोड़ हुआ है।