Property Advisor: आप जब भी कोई मकान या प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो उसकी रजिस्ट्री करवाते ही होंगे। लेकिन क्या आप जानते है केवल रजिस्ट्री करवा लेने से ही जमान पर आपका मालिकाना हक नहीं हो जाता। तो चलिए आपको बताते हैं आपके काम की खबर।
जमीन पर मालिकाना हक
आपको बता दें कि रजिस्ट्री घर-जमीन का महत्वपूर्ण दस्तावेज है, लेकिन यह आपको प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक दिलाना सुनिश्चित नहीं करता। अक्सर लोग रजिस्ट्री कराने के बाद निश्चिंत हो जाते हैं। वह प्रॉपर्टी खरीदते समय भी सबसे पहले रजिस्ट्री के कागजों पर ही ध्यान जाता है। हालांकि, म्यूटेशन कराना भी उतना ही जरूरी है जितना रजिस्ट्री, म्यूटेशन का मतलब नामांतरण है।
म्यूटेशन जरूर चेक कर लें
यदि आपको लगता है कि रजिस्ट्री करा लेने से ही प्रॉपर्टी आपकी हो जाएगी, तो आप गलतफहमी में हैं। भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए जरूरी है कि आप उसका नामंतरण यानी म्यूटेशन जरूर चेक कर लें। आपको ये भी पता होना चाहिए कि केवल सेल डीड से नामांतरण नहीं हो जाता है। बिना नामांतरण के संपत्ति आपके नाम नहीं होती है।
सेल डीड और नामांतरण दो अलग-अलग चीजें
बता दें कि सेल डीड और नामांतरण दो अलग-अलग चीजें हैं। आमतौर पर लोग सेल और नामांतरण को एक ही समझ लेते हैं, ऐसा समझा जाता है कि रजिस्ट्री करवा ली और संपत्ति अपने नाम हो गई जबकि यह ठीक नहीं है। किसी भी संपत्ति का जब तक नामांतरण नहीं किया जाता है तब तक कोई भी व्यक्ति अपनी नहीं मान सकता भले ही उसने रजिस्ट्री करवा ली हो। फिर भी संपत्ति उसकी नहीं मानी जाती क्योंकि नामांतरण तो किसी दूसरे व्यक्ति के पास होता है।
जानिए कैसे करवाएं नामांतरण
बता दें कि भारत में अचल संपत्ति मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है। पहली खेती की जमीन, दूसरी आवासीय जमीन, तीसरी औद्योगिक जमीन इस जमीन के साथ मकान भी सम्मिलित हैं।
इन तीनों ही प्रकार की जमीनों का नामांतरण अलग-अलग प्रकार से अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है। जब भी कभी किसी संपत्ति को सेल डीड के माध्यम से खरीदा जाए या फिर किसी अन्य साधन से अर्जित किया जाए तब उस दस्तावेज के साथ संबंधित कार्यालय पर उपस्थित होकर संपत्ति का नामांतरण करवा लेना चाहिए।
जानिए कहां से मिलेगी जानकारी
तो वहीं जो जमीन खेती की जमीन के रूप में दर्ज होती है ऐसी जमीन का नामांतरण उस पटवारी हल्के के पटवारी द्वारा किया जाता है।
आवासीय भूमि का नामांतरण कैसे किया जाए
बता दें कि आवासीय भूमि से संबंधित सभी दस्तावेजों का रिकॉर्ड उस क्षेत्र की नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद या फिर गांव के मामले में ग्राम पंचायत के पास होता है।
औद्योगिक जमीन का रिकॉर्ड
तो वहीं औद्योगिक जमीन का रिकॉर्ड औद्योगिक विकास केंद्र जो प्रत्येक जिले में होता है, उसके समक्ष रखा जाता है ऐसे औद्योगिक विकास केंद्र में जाकर यह जांच करना चाहिए।