Chunav update: 44 हजार करोड़ का कर्ज लेंगी इन 4 राज्यों की सरकारें, जानें कौनसा राज्य डूबा है कर्ज में..

First Ever News Admin
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First Ever News, Chunav Update: साल 2023 यानी इसी साल विधानसभा में चुनाव होने जा रहे है, तो वहीं देश के सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में लगी है। आपको बता दें कि इस साल 4 राज्यों जिनमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ और तेलंगाना में चनाव होना है।rn

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ये 4 राज्य उठाने जा रहे कर्जrn

आपको जानकर हैरानी होगी की ये 4 राज्य अगले तीन महीने में बाजार से भारी कर्ज उठाने जा रहे हैं। तो वहीं भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की ओर से जारी अक्टूबर-दिसंबर के तिमाही उधारी कैलेंडर में यह सामने आया है। तो वहीं इन तीन महीनों में देश के सभी राज्य 2.37 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने बॉन्ड बाजार में जा रहे हैं। इसमें से 44 हजार करोड़ यानी 18.56{401d7941881738afb561824aed5480651867520ee1da6b890738d77ff7e7ac84} कर्ज सिर्फ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना लेंगे।

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गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु सबसे ज्यादा कर्ज लेते हैं

आपको बता दें कि देश में औसत रूप से बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु सबसे ज्यादा कर्ज लेते हैं। लेकिन ताजा तिमाही कैलेंडर के अनुसार गुजरात 6 हजार करोड़ रु. ही कर्ज ले रहा जबकि मध्य प्रदेश गुजरात की तुलना में वह 250{401d7941881738afb561824aed5480651867520ee1da6b890738d77ff7e7ac84} ज्यादा कर्ज ले रहा है। rn

तो वहीं मध्य प्रदेश ने अप्रैल से अगस्त तक जो कर्ज लिया उससे 172{401d7941881738afb561824aed5480651867520ee1da6b890738d77ff7e7ac84} ज्यादा अगले तीन महीने में उठाने जा रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ 100{401d7941881738afb561824aed5480651867520ee1da6b890738d77ff7e7ac84} ज्यादा और राजस्थान केवल 14{401d7941881738afb561824aed5480651867520ee1da6b890738d77ff7e7ac84} ज्यादा कर्ज लेने जा रहा है।rn

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अब तक देश का कर्ज बढ़कर हुआ इतना rn

आपको बता दें कि मार्च- 2023 तक केंद्र सरकार पर कर्ज बढ़कर 52.21 लाख करोड़ रु. हो गया है, तो वहीं जून-2022 तक यह 50.86 लाख करोड़ था। हालांकि, जीडीपी की तुलना में कर्ज 9 माह में 18.8{401d7941881738afb561824aed5480651867520ee1da6b890738d77ff7e7ac84} से घटकर 18.6{401d7941881738afb561824aed5480651867520ee1da6b890738d77ff7e7ac84} हो गया। rn

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आपको बता दें कि राजस्थान में चुनावी वादे पूरे करने के लिए 1712 करोड़ ज्यादा लिए, तो वहीं मध्य प्रदेश में बजटीय अनुमान से अधिक घोषणाएं हो चुकी और लागू भी कर दिया गया है। इन्हें जारी रखने के लिए कर्ज जरूरी है। तो वहीं छत्तीसगढ़ में कर्ज को लेकर पूरे कार्यकाल में अनुशासित रही सरकार ने चुनावी साल में वेलफेयर योजनाओं की झड़ी लगा दी है।

इसके बाद राजस्थान- पंजाब के बाद ये प्रदेश देश में सबसे ज्यादा कर्ज में डूबा है, चुनाव के लिए की गई घोषणाओं का भी दबाव है। तेलंगानाः पूर्व की घोषणाओं से पहले से वित्तीय भार, नई घोषणाओं में कमी करनी पड़ी। जरूरी खर्च के लिए कर्ज लेना जरूरी हुआ है।

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