Haryana News, Ram Rahim Haryana Punjab High Court Parole Apply, Ram Rahim News: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को अक्सर चुनाव के समय पैरोल मिलती रही हैं, इसी कड़ी में कोर्ट की सख्ती के बाद भी राम रहीम ने हरियाणा और पंजाब में मतदान से पहले पैरोल की मांग की है. यह पहली बार है कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में हो रहे आम चुनाव बिना राम रहीम के हो रहे हैं. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार की ओर से डेरा प्रमुख राम रहीम को इस बार चुनाव में पैरोल नहीं दी गई, जबकि अब तक वह 2022 से 6 बार फरलो और 3 पैरोल लेकर 192 दिन तक बाहर आ चुका है. तो चलिए आपको बताते हैं आखिर राम रहीम ने क्या दलील दी.
आदेश को हटाने की गुहार लगाई
आपको बता दें कि इस बार भी चुनाव से ठिक पहले साध्वी यौन शोषण और मर्डर केस में सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पैरोल मांग रहा है. दरअसल राम रहीम ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के सामने किसी भी तरह की पैरोल या फरलो देने पर रोक के आदेश को हटाने की गुहार लगाई है.
राम रहीम ने दावा किया कुल 41 दिनों की रिहाई के पात्र
आपको बता दें कि राम रहीम ने दावा किया है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो सहित कुल 41 दिनों की अवधि के लिए रिहाई के लिए पात्र है. साथ ही कहा- वह इसका लाभ उठाना चाहता है.
29 फरवरी को हाईकोर्ट ने दिया ता आदेश
आपको बता दें कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी SGPC ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर राम रहीम को बार-बार जेल से बाहर लाने का विरोध जताया था. तो वहीं जिसके बाद 29 फरवरी को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे, कि कोर्ट की परमिशन के बिना डेरा प्रमुख की पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए.
राम रहीम ने ये दलील दी
दरअसल राम रहीम ने हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक हटाने मांग करते हुए दलील दी, पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति का है और दोषी को परिवार और समाज के साथ अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना है. इसके साथ ही कहना है- हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है.
फरलो देने पर रोक नहीं लगाते
साथ ही कहा- नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो. पैरोल या फरलो देना पूरी तरह से कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित वैधानिक प्राविधान के अनुसार है। उसे किसी भी स्तर पर कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया गया है.