Kaithal News: गांव पिलनी के कुष्ठ निवारण तीर्थ में मिले पौराणिक सिक्के, मनरेगा के तहत की जा रही थी तालाब की खुदाई

First Ever News Admin
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हरियाणा: कैथल जिले के गांव पिलनी में बाबा देवी दास के नाम से प्रसिद्ध कुष्ठ निवारण तीर्थ में पौराणिक सिक्के मिले है। बता दें कि ये सिक्के उस समय मिले जब मजदूर मनरेगा के तहत महाभारत कालीन तालाब की खुदाई कर रहे थे। rn

तो वहीं सिक्के मिलने के बाद गांव के सरपंच ने जिला प्रशासन को इसकी दी। जिसके बाद तहसीलदार को तालाब में मिले सिक्के सौंप दिए। तो वहीं पुरातत्व विभाग को देने के लिए तहसीलदार ने तालाब में मिले सिक्के थाना पुंडरी के प्रभारी के हवाले कर दिए।

Kaithal News: गांव पिलनी के कुष्ठ निवारण तीर्थ में मिले पौराणिक सिक्के, मनरेगा के तहत की जा रही थी तालाब की खुदाई

गांव के सरपंच प्रतिनिधि नरेंद्र शर्मा ने दी जानकारी

तो वहीं इसको लेकर गांव के सरपंच प्रतिनिधि नरेंद्र शर्मा ने बताया कि मंगलवार को गांव के ही कुछ मजदूर मनरेगा के तहत गांव के कुष्ठ निवारण तीर्थ की खुदाई कर रहे थे, और खुदाई के दौरान ही मजदूरों को पीतल और तांबे के कुछ सिक्के मिले। जिसके बाद उन्होंने इसकी सूचना तुरंत गांव के सरपंच और तीर्थ के महंत दिगंबर शिवम गिरी को दी।

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जिसके बाद सरपंच के पिता सुरेश शर्मा ने तुरंत डीडीपीओ कंवरदीप राणा को इसकी जानकारी दी। तो वहीं जिला प्रशासन के आदेश पर पूंडरी के नायब तहसीलदार जोगिंदर धनखड़ गांव पिलनी पहुंचे। सुरेश शर्मा, महंत दिगंबर शिवम गिरी, चौकीदार सोम प्रकाश, गांव के मोजेस व्यक्ति हाकम सिंह और राजेंद्र ने तालाब से मिले 9 प्राचीन सिक्के उनके हवाले कर दिए।

पुराने जमाने में स्नान के बाद तीर्थ में सिक्के डालने की परंपरा थी

गांव के सरपंच प्रतिनिधि नरेंद्र शर्मा ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुराने जमाने में स्नान के बाद तीर्थ में सिक्के डालने की परंपरा थी। तालाब में मिले अधिकतर सिक्के ब्रिटिश काल के हैं, क्योंकि उन पर ब्रिटिश अधिकारियों के चित्र छपे हैं। तो वहीं दो सिक्के ऐसे हैं जो मुगल काल के हो सकते हैं, इन पर अरबी व फारसी में कुछ लिखा हुआ है, यह छोटे सिक्के हैं, जिन्हें दमड़ी कहा जाता था।

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वामन पुराण में सर्व रोग हरण तीर्थ के नाम से है वर्णन

तो वहीं इसको लेकर तीर्थ के महंत दिगंबर शिवम गिरी ने बताया कि कुष्ठ निवारण तीर्थ का वामन पुराण में सर्व रोग हरण तीर्थ के नाम से वर्णन है। जन्मेजय को जब कुष्ठ रोग हो गया था, तो उसने इसी तीर्थ में स्नान करके स्वास्थ्य प्राप्त किया था। 100 साल पहले इसी तीर्थ पर एक वृक्ष के नीचे एक महात्मा तपस्या करते थे, उनको भी कुष्ठ रोग हो गया था, उन्हें स्वप्न में इस तीरथ की महत्वता का पता चला। उन्होंने पेड़ के नीचे बनी जोहड़ी यानी (तालाब) में स्नान किया तो उनकी बीमारी भी ठिक हो गई।rn

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रक्षाबंधन के दिन लगता है मेला

रक्षाबंधन के दिन तीर्थ पर बहुत बड़ा मेला लगता है, किसी भी प्रकार का कुष्ठ रोग या चर्म रोग का रोगी अगर यहां स्नान कर लेता है तो उसके हर प्रकार के चर्म रोग ठीक हो जाते हैं। महाभारत के युद्ध समय में जितने भी घायल सैनिकों को जख्म हो जाता था या उसकी चमड़ी खराब हो जाती थी। यहां स्नान करने से उसके सभी प्रकार के रोग और जख्म ठीक हो जाते थे।rn

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