First Ever News, Gandhi Jayanti: आज महात्मा गांधी की जयंती है, तो वहीं उनको पूरा देश आज नमन कर रहा है, राष्ट्रपिता के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। आपको बता दें की आजादी की लड़ाई का नेतृत्व बापू ने किया था, और गुलामी की जंजीरों को तोड़ने से लेकर अंग्रेजों को धूल चटाने के लिए बापू ने दिन-रात काम किया।आज उनके इन सिद्धातों को देश ही नहीं, विदेश के लोग भी फॉलो करते हैं। लेकिन गांधी जयंती पर बापू से जुड़ी रोचक बातें शायद ही आप जानते हों। rn
rn
दरअसल मोहनदास कर्मचंद गांधी के जीवन में कई ऐसी महिलाओं की भूमिका रही थी, जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया था, और ये महिलाएं आजादी की लड़ाई में उनकी सहयोगी बनी थीं। तो चलिए आपको बताते हैं उन महिलाओं के बारे में…rn
rn
rn
कस्तूरबा गांधीrn
तो चलिए बात करते हैं सबसे पहले कस्तूरबा गांधी का, जो बापू की पत्नी थीं। आपको बता दें कि वे गांधी जी के साथ हर लड़ाई में आगे रहीं, उनको बा कहा जाता था। तो वहीं जब भी बापू ने किसी आंदोलन का एलान किया, कस्तूरबा ने बापू के सभी आश्रमों का संचालन किया था।rn
rn
rn
सरोजिनी नायडूrn
बात करते है सरोजिनी नायडू की, इनको भारत कोकिला भी कहा जाता है। ये आजादी की लड़ाई में प्रमुख महिला रहीं, जिन्होंने हर कदम पर बापू का साथ दिया। यही नहीं, विभाजन के समय भी इन्होंने गांधी जी की सलाहकार के तौर पर अहम काम किया था।rn
rn
rn
मीरा बेनrn
इसके बाद नाम आता है मीरा बेन का, इनका जुड़ाव विदेश से रहा है, लेकिन वे गांधी जी से प्रेरित होकर ही अपना घर छोड़कर भारत आई थीं। ये आजादी की लड़ाई में कई मोर्चों पर गांधी जी के साथ रहीं, खादी सत्याग्रह और बारडोली सत्याग्रह में उन्होंने प्रशंसनीय काम किया था।rn
rn
rn
बहन डॉ. सुशीला नय्यर rn
आपको बता दें कि बापू के करीबी लोगों में शामिल उनके सचिव रहे प्यारेलाल पंजाबी को कौन नहीं जानता, तो वहीं उनकी बहन डॉ. सुशीला नय्यर राष्ट्रपिता से काफी प्रभावित थीं। उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई की थी, जिसके बाद वे चिकित्सक बन गई थीं। तो वहीं भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कस्तूरबा गांधी को मुंबई से अरेस्ट किया गया था, उनके साथ सुशीला भी थीं।
rn
आभा गांधी rn
अब नाम आता है महात्मा गांधी के परपोते कनु गांधी भी काफी सक्रिय थे, तो वहीं उनकी पत्नी आभा गांधी थीं, जो बापू की हर प्रार्थना सभा में भजन गाया करती थीं। आपको बता दें कि वे हमेशा राष्ट्रपिता के साथ रहती थीं, हर आंदोलन में बापू के साथ आगे रहती थीं, और जब नाथूराम गोडसे ने बापू को गोली मारी थी, तब आभा मौके पर मौजूद थीं।
rn
rn
rn
rn
rn