Manipur: जनहित याचिकाओं पर CJI की तल्ख टिप्पणी, कहा- हिंसा भड़काने के लिए SC का इस्तेमाल न हो

First Ever News Admin
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मणिपुर हिंसा: आज मणिपुर में इंटरनेट बहाल करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए है और उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका का उल्लेख किया। तो वहीं इस दौरान सुप्रीम कोर्ट (SC) ने हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए कहा- कि शीर्ष अदालत के मंच का इस्तेमाल मणिपुर में तनाव (Manipur Crisis) को और बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। rn

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सुनवाई मंगलवार को फिर से शुरू होगी rn

सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा- हम कानून एवं व्यवस्था तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकते। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को मणिपुर हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के मंच का इस्तेमाल मणिपुर में तनाव को और बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। बता दें, मणिपुर सरकार ने स्थिति पर नवीनतम स्थिति रिपोर्ट सौंपी, जबकि इस पर सुनवाई मंगलवार को फिर से शुरू होगी।rn

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7 जुलाई को इंटरनेट पर बैन हटाने का निर्देश दिया था rn

बता दें कि मणिपुर में इंटरनेट बहाल करने के हाईकोर्ट (HC) के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। राज्य सरकार ने कहा है कि स्थिति में बार-बार बदलाव हो रहा है। अभी इस आदेश पर अमल से मुश्किल हो सकती है। दरअसल 7 जुलाई को मणिपुर हाईकोर्ट (HC) ने राज्य सरकार को राज्य में लगे इंटरनेट पर बैन हटाने का निर्देश दिया था। rn

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इंटरनेट बहाली को लेकर भी कल होगी सुनवाई rn

तो वहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का कहना है कि पिछली बार कोर्ट के ध्यान में यह बात लाई गई थी कि पुलिस स्टेशनों से बड़ी संख्या में हथियार लिए गए थे। SC ने सॉलिसिटर जनरल से उस संबंध में की गई कार्रवाई की सीमा के बारे में पूछा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का कहना है कि वह मणिपुर हिंसा से जुड़े मामले पर कल 11 जुलाई को सुनवाई करेगा। इसके अलावा राज्य में इंटरनेट की बहाली की अनुमति देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मणिपुर सरकार की याचिका पर भी कल सुनवाई होगी।rn

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ये है पूरा मामला rn

दरअसल मणिपुर में पिछले दो महीने से हिंसा की घटनाएं सामने आ रही है। इस वजह से राज्य में दो महीने से इंटरनेट पर भी बैन लगा हुआ है। आपको बता दें कि अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किए गया था। इसके बाद राज्य में पहली बार हिंसा भड़क उठी थी, और इस हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं। rn

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तो वहीं इसके अलावा हजारों लोगों ने राहत शिविरों में शरण ली है। बता दें कि मणिपुर की आबादी में मेइतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं। rn

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